* [[बैल नही हो सकता आदमी कभी भी / रवीन्द्र प्रभात]]
* [[लौटेगी संवेदनाएँ उनकी भी / रवीन्द्र प्रभात]]
* [[चुनाव जब भी आता है दोस्त / रवीन्द्र प्रभात]]
* [[उसी प्रकार जैसे ख़त्म हो गयी समाज से सादगी आदमी भी ख़त्म हो गया और आदमीयत भी / रवीन्द्र प्रभात]]
* [[देश को अब चाहिए ख़ुशनुमा सा एक प्रभात / रवीन्द्र प्रभात]]