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मधुमालती / त्रिलोचन
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|संग्रह=चैती / त्रिलोचन
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झिझकती आँखों से
मैं ने तुम्हें परसा है
मधुमालती के फूल,
कहीं यह परस
तुम्हें खल न जाय
</poem>
अनिल जनविजय
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