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"गंगा जमुना / इन्साफ की डगर पर" के अवतरणों में अंतर
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<poem>इन्साफ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के | <poem>इन्साफ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के | ||
ये देश हैं तुम्हारा, नेता तुम ही हो कल के | ये देश हैं तुम्हारा, नेता तुम ही हो कल के | ||
− | दुनियाँ के रंज सहना और कुछ ना | + | दुनियाँ के रंज सहना और कुछ ना मुँह से कहना |
सच्चाईयों के बल पे, आगे को बढ़ते रहना | सच्चाईयों के बल पे, आगे को बढ़ते रहना | ||
रख दोगे एक दिन तुम, संसार को बदलके | रख दोगे एक दिन तुम, संसार को बदलके | ||
अपने हो या पराए, सब के लिए हो न्याय | अपने हो या पराए, सब के लिए हो न्याय | ||
− | देखो कदम तुम्हारा, | + | देखो कदम तुम्हारा, हरगिज ना डगमगाए |
− | रस्ते बडे | + | रस्ते बडे कठिन हैं, चलना संभल संभल के |
इन्सानियत के सर पे, इज्जत का ताज रखना | इन्सानियत के सर पे, इज्जत का ताज रखना | ||
− | तन मन की | + | तन मन की भेंट देकर, भारत की लाज रखना |
जीवन नया मिलेगा, अंतिम चिता में जल के | जीवन नया मिलेगा, अंतिम चिता में जल के | ||
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22:32, 22 फ़रवरी 2010 का अवतरण
रचनाकार: |
इन्साफ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के
ये देश हैं तुम्हारा, नेता तुम ही हो कल के
दुनियाँ के रंज सहना और कुछ ना मुँह से कहना
सच्चाईयों के बल पे, आगे को बढ़ते रहना
रख दोगे एक दिन तुम, संसार को बदलके
अपने हो या पराए, सब के लिए हो न्याय
देखो कदम तुम्हारा, हरगिज ना डगमगाए
रस्ते बडे कठिन हैं, चलना संभल संभल के
इन्सानियत के सर पे, इज्जत का ताज रखना
तन मन की भेंट देकर, भारत की लाज रखना
जीवन नया मिलेगा, अंतिम चिता में जल के