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"बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना / शैलेन्द्र" के अवतरणों में अंतर
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(कोई अंतर नहीं)
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10:45, 1 मार्च 2010 का अवतरण
ओ रे माझी, ओ रे माझी, ओ ओ मेरे माझी
मेरे साजन हैं उस पार, मैं मन मार, हूँ इस पार
ओ मेरे माझी, अबकी बार, ले चल पार, ले चल पार
मेरे साजन हैं उस पार...
हो मन की किताब से तू, मेरा नाम ही मिटा देना
गुन तो न था कोई भी, अवगुन मेरे भुला देना
मुझको आज की बिदा का मर के भी रहता इंतज़ार
मेरे साजन...
मत खेल जल जाएगी, कहती है आग मेरे मन की
मैं बंदिनी पिया की, मैँ संगिनी हूँ साजन की
मेरा खींचती है आँचल, मन मीत तेरी हर पुकार
मेरे साजन हैं उस पार
ओ रे माझी ओ रे माझी ओ ओ मेरे माझी
मेरे साजन हैं उस पार...