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कविता बनाम दूसरे काम / कुमार सुरेश
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20:47, 2 मार्च 2010
कविता को भी यदि
जुगाड़ और अवसर के
कीचड
कीचड़
से लपेटना है
तो बिना कविता के ही ज़िंदगी ख़ूब नरक है
कुछ चीज़ें पवित्र हैं जैसे
अनिल जनविजय
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