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"पानदान / नीलेश रघुवंशी" के अवतरणों में अंतर

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पहली पगार में खरीदूंगी
 
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होंगे जिसमें मेरे सपने ग्यारह बरस के
 
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उनकी जीवन भर की ख़ुशी।
 
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पानदान वह छोटा-सा डिब्बा
 
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रख दूंगी उसमें प्यारे-प्यारे तारे
 
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देखा है मैंने हमेशा उनमें तुम्हीं को।
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माँ हर दिन भरेगी उसमें सुपारी और पान
 
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पानदान दुबका रहेगा पिता के हाथ में
 
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किसी ख़रगोश की तरह
 
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मेरा बचपन जैसे उनकी स्मृति में।
 
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11:24, 3 मार्च 2010 के समय का अवतरण

पहली पगार में खरीदूंगी
पिता के लिए एक पानदान

छोटा-सा
होंगे जिसमें मेरे सपने ग्यारह बरस के
और
उनकी जीवन भर की ख़ुशी।

पानदान वह छोटा-सा डिब्बा
रख दूंगी उसमें प्यारे-प्यारे तारे
आसमान--
बुरा मत मानना
देखा है मैंने हमेशा उनमें तुम्हीं को।

माँ हर दिन भरेगी उसमें सुपारी और पान
पानदान दुबका रहेगा पिता के हाथ में
किसी ख़रगोश की तरह
या
मेरा बचपन जैसे उनकी स्मृति में।