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अभी समय है / लाल्टू
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21:11, 3 मार्च 2010
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लाल्टू|संग्रह=
लोग ही चुनेंगे रंग / लाल्टू
}}
{{KKCatKavita
}}<poem>अभी समय है
कि बादलों को शिकायत सुनाएँ
धरती के रुखे कोनों की
कविता में कुछ कहना पाखंड है
फिर भी करें एक कोशिश और
दुनिया को ज़रा और बेहतर बनाएँ।</poem>
अनिल जनविजय
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