"चाक की ख़्वाहिश / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर
Sandeep Sethi (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= ग़ालिब |संग्रह= दीवान-ए-ग़ालिब / ग़ालिब }} [[Category:ग़ज…) |
Sandeep Sethi (चर्चा | योगदान) छो |
||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार= ग़ालिब | |रचनाकार= ग़ालिब | ||
− | |संग्रह= | + | |संग्रह= दीवाने-ग़ालिब / ग़ालिब |
}} | }} | ||
[[Category:ग़ज़ल]] | [[Category:ग़ज़ल]] | ||
पंक्ति 18: | पंक्ति 18: | ||
मू-ए-शीशा<ref>शीशे पर तरेड़</ref> दीदा-ए-साग़र<ref>प्याले की आँख</ref> की मिज़ग़ानी<ref>पलक बनना</ref> करे | मू-ए-शीशा<ref>शीशे पर तरेड़</ref> दीदा-ए-साग़र<ref>प्याले की आँख</ref> की मिज़ग़ानी<ref>पलक बनना</ref> करे | ||
− | ख़त्त-ए-आ़रिज़<ref>गाल के | + | ख़त्त-ए-आ़रिज़<ref>गाल के रोयें</ref> से लिखा है, ज़ुल्फ़ को उल्फ़त ने अ़हद<ref>फैसला</ref> |
यक-क़लम मंज़ूर है, जो कुछ परेशानी करे | यक-क़लम मंज़ूर है, जो कुछ परेशानी करे | ||
</poem> | </poem> | ||
{{KKMeaning}} | {{KKMeaning}} |
02:40, 14 मार्च 2010 के समय का अवतरण
चाक<ref>चीर कर निकलना</ref> की ख़्वाहिश, अगर वहशत ब-उरियानी<ref>नग्नता में</ref> करे
सुबह के मानिन्द ज़ख़्म-ए-दिल गिरेबानी<ref>कमीज़ की गरदन</ref> करे
जल्वे का तेरे वह आ़लम है कि गर कीजे ख़याल
दीदा-ए दिल को ज़ियारत-गाह-ए<ref>हैरानी का मकबरा</ref> हैरानी करे
है शिकस्तन<ref>हार</ref> से भी दिल नौमीद<ref>ना-उम्मीद</ref> या रब कब तलक
आब-गीना<ref>काँच</ref> कोह<ref>पहाड़</ref> पर अ़रज़-ए गिरां<ref>ज्यादा ताकत का दावा</ref>-जानी करे
मै-कदा गर चश्म-ए-मस्त-ए-नाज़<ref>मदभरी आँखे</ref> से पावे शिकसत
मू-ए-शीशा<ref>शीशे पर तरेड़</ref> दीदा-ए-साग़र<ref>प्याले की आँख</ref> की मिज़ग़ानी<ref>पलक बनना</ref> करे
ख़त्त-ए-आ़रिज़<ref>गाल के रोयें</ref> से लिखा है, ज़ुल्फ़ को उल्फ़त ने अ़हद<ref>फैसला</ref>
यक-क़लम मंज़ूर है, जो कुछ परेशानी करे