भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आवाज एक पुल है / कुमार सुरेश" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
Kumar suresh (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 7: | पंक्ति 7: | ||
अनेक बार | अनेक बार | ||
चाहते हुए भी | चाहते हुए भी | ||
− | मैं सहमत नहीं हो | + | मैं सहमत नहीं हो पIता |
उस से | उस से | ||
10:52, 14 मार्च 2010 का अवतरण
हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।
अनेक बार
चाहते हुए भी
मैं सहमत नहीं हो पIता
उस से
मंतव्य अपने
समझा भी नहीं पता
एक शून्य फैल जाता है
बीच में
तब
उससे करता हूँ उम्मीद
कि वह मरम्मत करे
दरकते हुए पुल की
आवाज़ दे मुझे
क्योंकि आवाज़ एक पुल है
पर किसी रहस्यमयी
ठण्ड की वजह से
जो हमारे भीतर कहीं
गहराई में बसती है
आवाज़ तब बर्फ़ हो जाती है
जब महकना चाहिए उसे
कॉफ़ी की ख़ुशबू की तरह
संवादहीनता के ठण्डे स्पर्श से
अपनापन तिड़कने लगता है
काँच की तरह
तब
ध्रुवों से सर्द बियावान
अकेलेपन से घबराकर
मैं
असहमति को
उसकी विशिष्टता
मान लेने को
सहमत हो जाता हूँ।