भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"तमन्ना फिर मचल जाए / जावेद अख़्तर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
Sandeep Sethi (चर्चा | योगदान) छो |
||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=जावेद अख़्तर | |रचनाकार=जावेद अख़्तर | ||
}} | }} | ||
− | + | [[Category:ग़ज़ल]] | |
− | तमन्ना फिर मचल जाए | + | <poem> |
− | + | तमन्ना फिर मचल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ | |
− | अगर तुम मिलने आ | + | यह मौसम ही बदल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ |
− | + | ||
− | यह मौसम ही बदल जाए | + | |
− | + | ||
− | अगर तुम मिलने आ | + | |
मुझे गम है कि मैने जिन्दगी में कुछ नहीं पाया | मुझे गम है कि मैने जिन्दगी में कुछ नहीं पाया | ||
− | + | ये ग़म दिल से निकल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ | |
− | ये | + | |
− | + | ||
− | अगर तुम मिलने आ | + | |
नहीं मिलते हो मुझसे तुम तो सब हमदर्द हैं मेरे | नहीं मिलते हो मुझसे तुम तो सब हमदर्द हैं मेरे | ||
+ | ज़माना मुझसे जल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ | ||
− | + | ये दुनिया भर के झगड़े, घर के किस्से, काम की बातें | |
− | + | बला हर एक टल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ | |
− | + | </poem> | |
− | + | ||
− | ये दुनिया भर के झगड़े घर के किस्से काम की बातें | + | |
− | + | ||
− | बला हर एक टल जाए | + | |
− | + | ||
− | अगर तुम मिलने आ | + |
19:15, 30 मार्च 2010 के समय का अवतरण
तमन्ना फिर मचल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ
यह मौसम ही बदल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ
मुझे गम है कि मैने जिन्दगी में कुछ नहीं पाया
ये ग़म दिल से निकल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ
नहीं मिलते हो मुझसे तुम तो सब हमदर्द हैं मेरे
ज़माना मुझसे जल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ
ये दुनिया भर के झगड़े, घर के किस्से, काम की बातें
बला हर एक टल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ