‘ग़ज़ल …दुष्यन्त के बाद’, ‘सीराँ’, साहित्य भारती के नागरी ग़ज़ल अंक, दर्द अभी तक हमसाए हैं, चांद सितारे तथा कुछ पत्ते पीले कुछ हरे में रचनाएँ संकलित। भारत की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित, कई राष्ट्र एवं राज्य स्तरीय कवि सम्मेलनों मुशायरों में प्रतिभागी, पहाड़ी भाषा में ग़ज़लें तथा कहानियाँ प्रकाशित तथा आकाशवाणी से प्रसारित
सम्मान: हिमोत्कर्ष साहित्य संस्कृति एवं जनकल्याण परिषद '''ऊना''' हिमाचल प्रदेश द्वारा '''लुद्दरमल कटोच स्मारक हिमोत्कर्ष श्री(उत्कृष्ट साहित्यकार)पुरस्कार 2009-10''' से सम्मानित
'''सम्प्रति''': विभागाध्यक्ष (अनुप्रयुक्त विज्ञान एवं मानविकी), ग़ज़लकार, समीक्षक
'''पता''':राजकीय पॉलीटेक्निक कांगड़ा-170001(हिमाचल प्रदेश)