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"छिन्दवाड़ा-3 / अनिल करमेले" के अवतरणों में अंतर
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जिसका बाल भी बाँका नहीं कर पाया 84 का गिरा बरगद | जिसका बाल भी बाँका नहीं कर पाया 84 का गिरा बरगद | ||
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वह पिछले बीस सालों में हो गया बिजूके की तरह | वह पिछले बीस सालों में हो गया बिजूके की तरह | ||
12:00, 5 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण
किसकी नज़र लग गई उसी छिन्दवाड़ा को कि
सैकड़ों कालोनियों में बसकर भी
उजड़ गई उसकी आत्मा
किसकी नज़र लगी इस शहर को
जिसका बाल भी बाँका नहीं कर पाया 84 का गिरा बरगद
न 6 दिसंबर बानवे को ढहा दी गई मस्जिद
वह पिछले बीस सालों में हो गया बिजूके की तरह
जिसमें हंडी की जगह पराए प्रतिनिधि की खोपड़ी रखी है
जिसने बख़्शा नहीं किसी शरीफ़ रहबर को
पंख आने से पहले ही मसल दिए गए सारे स्थानीय
और जो बचे फिसड्डी तीसरे दर्ज़े के कमदिमाग लंपट
वे सबके सब युवा-ब्रिगेड में हो गए शामिल
आज वे बन गए गाँवों और कस्बों के रहनुमा
नहरें सारी मुड़ गईं उनके खेतों की ओर