Changes

कबीर दोहावली / पृष्ठ १

No change in size, 02:37, 16 अप्रैल 2010
मानुष से देवत किया करत न लागी बार ॥ 5 ॥ <BR/><BR/>
कबीरा कबिरा माला मनहि की, और संसारी भीख । <BR/>
माला फेरे हरि मिले, गले रहट के देख ॥ 6 ॥ <BR/><BR/>