भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"चीत्कार / अत्तिला योझेफ़" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=अत्तिला योझेफ़ |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} [[Category:हंगारी …)
(कोई अंतर नहीं)

20:57, 17 अप्रैल 2010 का अवतरण

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: अत्तिला योझेफ़  » चीत्कार

मुझे वहशियाना प्यार करो, व्याकुलता की हद तक
मेरे भीषण क्लेश को डराकर भगा दो
अमूर्त्तता के पिंजड़े में,
मैं एक लंगूर, उछल-कूद करता हूँ,

शाप में मेरे दाँत दिखते हैं
जिसके लिए न तो मुझमें भरोसा है और न ही कल्पना
उसकी त्योरियों के आतंक में
नश्वर, क्या तुम मेरा गाना सुनते हो
या सिर्फ़ प्रकृति की प्रतिध्वनि की तरह

मुझे आगोश में ले लो, अनदेखा करते हुए
सिर्फ टकटकी मत लगाओ
ज्यों ही धारदार छुरी नीचे आती है
कोई अभिभावक ज़िंदा नहीं
जो मेरे गीत सिसकारी सुनें
उनकी त्योरियों के आतंक में।

जैसे एक नदी के ऊपर लट्ठों का बीड़ा
स्लाव मांझी, चाहे वह जो भी हो
इसलिए हमेशा के लिए मानव जाति
व्यथित गूँगी, धारा नीचे जाती है-
लेकिन मैं बेकार ही जोर लगाकर चीखता हूँ।

मुझे प्यार करो- मैं चंगा हो जाऊँगा, मैं थरथराता हूँ
उसकी त्योरियों के आतंक में।

रचनाकाल : 1936

अंग्रेज़ी से अनुवाद :