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तूफानों की चीत्कार में
 
तूफानों की चीत्कार में
 
गर्भपात के भय से
 
गर्भपात के भय से
रोशनियों के नक्शे पथरा गए हैं
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रोशनियों के नक्श पथरा गए हैं
  
कुछ-हो-जाने-की-दहशत  
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कुछ-हो-जाने-की-दहशत ने
वहशत की चड़ेल को जन्म दे दिया है
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वहशत की चुड़ेल को जन्म दे दिया है
 
जंगल की वीरान आवाज़ों में
 
जंगल की वीरान आवाज़ों में
 
पेड़ों की परछाईयों पर
 
पेड़ों की परछाईयों पर

09:24, 18 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण

हल्की काली धरती पर
महाकाल के बरगदों के साये
फैल गए हैं
तूफानों की चीत्कार में
गर्भपात के भय से
रोशनियों के नक्श पथरा गए हैं

कुछ-हो-जाने-की-दहशत ने
वहशत की चुड़ेल को जन्म दे दिया है
जंगल की वीरान आवाज़ों में
पेड़ों की परछाईयों पर
तैरती हैं
छाती पीटते बनमानुष की चीख़

पर महाकाल के नृत्य में
मन का जुगनू
काल का ही हृदय बन
धड़कता है।