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फाईलों के बोझिल अहसास-सा | फाईलों के बोझिल अहसास-सा | ||
बीत गया दिन | बीत गया दिन | ||
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अर्थों की भीड़ ने | अर्थों की भीड़ ने | ||
− | + | बौरा दिया है | |
प्रश्न एक | प्रश्न एक | ||
एक प्रश्न | एक प्रश्न |
10:20, 20 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण
फाईलों के बोझिल अहसास-सा
बीत गया दिन
एक और दिन
शाम की मैना
प्लेटफार्म के जंगले पर
गई ऊँघ
अर्थों की भीड़ ने
बौरा दिया है
प्रश्न एक
एक प्रश्न
गड़गड़हट में रेल की
गया जो दब।