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"मसख़रा / अवतार एनगिल" के अवतरणों में अंतर

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एक्-दूसरे में खुलते हैं
 
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उसमें  
 
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'कुछ' तलशता मसखरा
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'कुछ' तलाशता मसखरा
 
रोने वालों पर हंसता
 
रोने वालों पर हंसता
 
हंसने वालों पर रोता
 
हंसने वालों पर रोता

10:20, 20 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण

जिस अनाम इमारत के
असंख्य दरवाज़े
एक्-दूसरे में खुलते हैं
उसमें
'कुछ' तलाशता मसखरा
रोने वालों पर हंसता
हंसने वालों पर रोता

कमरों की भूल-भुलईयों में भटकता।
बरसाती रातों सा
रुदन करता
झपटता,तितली पकड़ता

बुरों से बतियाता
अच्छों से लड़ता-झगड़ता
लम्बे गलियारों में
बीचों=बीच बैठ जाता है
छेदती आंखों के
कौतुक को अनदेखा कर

कैसा है यह अजीब मसखरा
अक्ल के पागल्पन पर
मुस्कुराता है
मुंह बनाता है
बतियाता
गाता है
फिर अचानक उठ
एक से दूसरे
दूसरे से तीसरे
हज़ारों, लाखों बन्द दरवाज़ों को
ख़ोलता चला आता है।