भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बया / महादेवी वर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
  
  
बया हमारी चिडिया रानी।
+
बया हमारी चिड़िया रानी।
  
  
पंक्ति 34: पंक्ति 34:
 
फिर जब उनके पर निकलेंगे,
 
फिर जब उनके पर निकलेंगे,
  
उड जायेंगे, बया बनेंगे
+
उड़ जायेंगे, बया बनेंगे
  
 
हम सब तेरे पास रहेंगे
 
हम सब तेरे पास रहेंगे
  
तू रोना मत चिडिया रानी।
+
तू रोना मत चिड़िया रानी।
  
  
बया हमारी चिडिया रानी।
+
बया हमारी चिड़िया रानी।
  
 
-प्रथम आयाम
 
-प्रथम आयाम
पंक्ति 47: पंक्ति 47:
  
  
इन्दौर की छावनी में बया ही उनकी चिडिया और उसका घोंसला ही उनके लिए कला प्रदर्शनी था। वे यह जान चुकी थीं कि उसके अंडे से बच्चे निकलेंगे, फिर जब उनके पंख निकल आयेंगे वे बया बन कर उड जायेंगे। वह अकेली होकर न रोये, यह उनकी चिन्ता थी। यह महादेवी जी के बचपन की रचना है।
+
इन्दौर की छावनी में बया ही उनकी चिड़िया और उसका घोंसला ही उनके लिए कला प्रदर्शनी था। वे यह जान चुकी थीं कि उसके अंडे से बच्चे निकलेंगे, फिर जब उनके पंख निकल आयेंगे वे बया बन कर उड़ जायेंगे। वह अकेली होकर न रोये, यह उनकी चिन्ता थी। यह महादेवी जी के बचपन की रचना है।

01:59, 21 फ़रवरी 2007 का अवतरण

बया से


बया हमारी चिड़िया रानी।


तिनके लाकर महल बनाती,

ऊँची डालों पर लटकाती,

खेतों से फिर दाना लाती

नदियों से भर लाती पानी।


तुझको दूर न जाने देंगे,

दानों से आँगन भर देंगे,

और हौज में भर देंगे हम

मीठा-मीठा पानी।


फिर अंडे सेयेगी तू जब,

निकलेंगे नन्हें बच्चे तब

हम आकर बारी-बारी से

कर लेंगे उनकी निगरानी।


फिर जब उनके पर निकलेंगे,

उड़ जायेंगे, बया बनेंगे

हम सब तेरे पास रहेंगे

तू रोना मत चिड़िया रानी।


बया हमारी चिड़िया रानी।

-प्रथम आयाम


इन्दौर की छावनी में बया ही उनकी चिड़िया और उसका घोंसला ही उनके लिए कला प्रदर्शनी था। वे यह जान चुकी थीं कि उसके अंडे से बच्चे निकलेंगे, फिर जब उनके पंख निकल आयेंगे वे बया बन कर उड़ जायेंगे। वह अकेली होकर न रोये, यह उनकी चिन्ता थी। यह महादेवी जी के बचपन की रचना है।