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"ज़फ़र गोरखपुरी" के अवतरणों में अंतर
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|जन्म=5 मई 1935 | |जन्म=5 मई 1935 | ||
− | |जन्मस्थान=गोरखपुर, उत्तरप्रदेश | + | |जन्मस्थान=बेदौली बाबू गाँव, बासगाँव तहसील, गोरखपुर, उत्तरप्रदेश |
|कृतियाँ=तेशा (1962), वादिए-संग (1975), गोखरु के फूल (1986), चिराग़े-चश्मे-तर (1987), हलकी ठंडी ताज़ा हवा(2009)--सभी कविता-संग्रह। नाच री गुड़िया (बच्चों की कविताएँ 1978 )। आर-पार का मंज़र (ग़ज़ल-संग्रह 1997)। | |कृतियाँ=तेशा (1962), वादिए-संग (1975), गोखरु के फूल (1986), चिराग़े-चश्मे-तर (1987), हलकी ठंडी ताज़ा हवा(2009)--सभी कविता-संग्रह। नाच री गुड़िया (बच्चों की कविताएँ 1978 )। आर-पार का मंज़र (ग़ज़ल-संग्रह 1997)। | ||
|विविध=बच्चों के लिए कहानियाँ भी लिखी हैं जो 1979 में‘सच्चाइयाँ’ नामक कहानी-संग्रह में संकलित हैं। महाराष्ट्र उर्दू अकादमी का राज्य पुरस्कार (1993 ), इम्तियाज़े मीर अवार्ड (लखनऊ ) और युवा-चेतना गोरखपुर द्वारा फ़िराक़ सम्मान (1996) | |विविध=बच्चों के लिए कहानियाँ भी लिखी हैं जो 1979 में‘सच्चाइयाँ’ नामक कहानी-संग्रह में संकलित हैं। महाराष्ट्र उर्दू अकादमी का राज्य पुरस्कार (1993 ), इम्तियाज़े मीर अवार्ड (लखनऊ ) और युवा-चेतना गोरखपुर द्वारा फ़िराक़ सम्मान (1996) |
11:43, 1 मई 2010 का अवतरण
ज़फ़र गोरखपुरी
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जन्म | 5 मई 1935 |
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जन्म स्थान | बेदौली बाबू गाँव, बासगाँव तहसील, गोरखपुर, उत्तरप्रदेश |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
तेशा (1962), वादिए-संग (1975), गोखरु के फूल (1986), चिराग़े-चश्मे-तर (1987), हलकी ठंडी ताज़ा हवा(2009)--सभी कविता-संग्रह। नाच री गुड़िया (बच्चों की कविताएँ 1978 )। आर-पार का मंज़र (ग़ज़ल-संग्रह 1997)। | |
विविध | |
बच्चों के लिए कहानियाँ भी लिखी हैं जो 1979 में‘सच्चाइयाँ’ नामक कहानी-संग्रह में संकलित हैं। महाराष्ट्र उर्दू अकादमी का राज्य पुरस्कार (1993 ), इम्तियाज़े मीर अवार्ड (लखनऊ ) और युवा-चेतना गोरखपुर द्वारा फ़िराक़ सम्मान (1996) | |
जीवन परिचय | |
ज़फ़र गोरखपुरी / परिचय |
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- बड़ा लुत्फ़ था जब कुँआरे थे हम तुम! / ज़फ़र गोरखपुरी
- मैं ऐसा ख़ूबसूरत रंग हूँ दीवार का अपनी / ज़फ़र गोरखपुरी
- किताबें बहुत सी पढ़ीं होंगी तुमने / ज़फ़र गोरखपुरी
- बदन कजला गया तो दिल की ताबानी से निकलूंगा / ज़फ़र गोरखपुरी
- मेरी इक छोटी सी कोशिश तुझको पाने के लिए / ज़फ़र गोरखपुरी
- देखें क़रीब से भी तो अच्छा दिखाई दे / ज़फ़र गोरखपुरी
- इरादा हो अटल तो मोजज़ा ऐसा भी होता है / ज़फ़र गोरखपुरी
- मयक़दा सबका है सब हैं प्यासे / ज़फ़र गोरखपुरी
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