"राष्ट्र गान / सुमित्रानंदन पंत" के अवतरणों में अंतर
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:जन भारत हे, | :जन भारत हे, | ||
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गगन चुंबि विजयी तिरंग ध्वज | गगन चुंबि विजयी तिरंग ध्वज | ||
− | : | + | :इंद्रचापमत् हे, |
− | कोटि | + | कोटि कोटि हम श्रम जीवी सुत |
:संभ्रम युत नत हे, | :संभ्रम युत नत हे, | ||
सर्व एक मत, एक ध्येय रत, | सर्व एक मत, एक ध्येय रत, | ||
:सर्व श्रेय व्रत हे, | :सर्व श्रेय व्रत हे, | ||
:जन भारत हे, | :जन भारत हे, | ||
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समुच्चरित शत शत कंठो से | समुच्चरित शत शत कंठो से | ||
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:स्वागत हे, स्वागत हे, | :स्वागत हे, स्वागत हे, | ||
:जन भारत हे, | :जन भारत हे, | ||
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स्वर्ग खंड षड ऋतु परिक्रमित, | स्वर्ग खंड षड ऋतु परिक्रमित, | ||
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:उर्वर, अभिमत हे, | :उर्वर, अभिमत हे, | ||
दश दिशि हरित शस्य श्री हर्षित | दश दिशि हरित शस्य श्री हर्षित | ||
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:जन भारत हे, | :जन भारत हे, | ||
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जाति धर्म मत, वर्ग श्रेणि शत, | जाति धर्म मत, वर्ग श्रेणि शत, | ||
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:हम श्रद्धानत हे, | :हम श्रद्धानत हे, | ||
:जन भारत हे, | :जन भारत हे, | ||
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किरण केलि रत रक्त विजय ध्वज | किरण केलि रत रक्त विजय ध्वज | ||
− | :युग | + | :युग प्रभातमत् हे, |
− | कीर्ति | + | कीर्ति स्तंभवत् उन्नत मस्तक |
− | :प्रहरी | + | :प्रहरी हिमवत् हे, |
पद तल छू शत फेनिलोर्मि फन | पद तल छू शत फेनिलोर्मि फन | ||
:शेषोदधि नत हे, | :शेषोदधि नत हे, | ||
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:चिर शरणागत हे, | :चिर शरणागत हे, | ||
:जन भारत हे, | :जन भारत हे, | ||
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रचनाकाल: जनवरी’ ४० | रचनाकाल: जनवरी’ ४० | ||
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15:23, 4 मई 2010 का अवतरण
जन भारत हे!
भारत हे!
स्वर्ग स्तंभवत् गौरव मस्तक
उन्नत हिमवत् हे,
जन भारत हे,
जाग्रत् भारत हे!
गगन चुंबि विजयी तिरंग ध्वज
इंद्रचापमत् हे,
कोटि कोटि हम श्रम जीवी सुत
संभ्रम युत नत हे,
सर्व एक मत, एक ध्येय रत,
सर्व श्रेय व्रत हे,
जन भारत हे,
जाग्रत् भारत हे!
समुच्चरित शत शत कंठो से
जन युग स्वागत हे,
सिन्धु तरंगित, मलय श्वसित,
गंगाजल ऊर्मि निरत हे,
शरद इंदु स्मित अभिनंदन हित,
प्रतिध्वनित पर्वत हे,
स्वागत हे, स्वागत हे,
जन भारत हे,
जाग्रत् भारत हे!
स्वर्ग खंड षड ऋतु परिक्रमित,
आम्र मंजरित, मधुप गुंजरित,
कुसुमित फल द्रुम पिक कल कूजित
उर्वर, अभिमत हे,
दश दिशि हरित शस्य श्री हर्षित
पुलक राशिवत् हे,
जन भारत हे,
जाग्रत् भारत हे!
जाति धर्म मत, वर्ग श्रेणि शत,
नीति रीति गत हे
मानवता में सकल समागत
जन मन परिणत हे,
अहिंसास्त्र जन का मनुजोचित
चिर अप्रतिहत हे,
बल के विमुख, सत्य के सन्मुख
हम श्रद्धानत हे,
जन भारत हे,
जाग्रत् भारत हे!
किरण केलि रत रक्त विजय ध्वज
युग प्रभातमत् हे,
कीर्ति स्तंभवत् उन्नत मस्तक
प्रहरी हिमवत् हे,
पद तल छू शत फेनिलोर्मि फन
शेषोदधि नत हे,
वर्ग मुक्त हम श्रमिक कृषिक जन
चिर शरणागत हे,
जन भारत हे,
जाग्रत् भारत हे!
रचनाकाल: जनवरी’ ४०