भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अधूरा घोंसला / क्रांति" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=क्रांति |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> तुमने जब पकड़ा था चि…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
01:38, 11 मई 2010 के समय का अवतरण
तुमने जब पकड़ा था चिड़िया को
उसकी चोंच में कुछ तिनके थे
और पेड़ पर लटका था
उसका अधूरा घोंसला।
चिड़िया गिनती नहीं जानती
इसलिये बरसों का हिसाब नहीं रखती
पर एक बात वह समझती हैं कि
जब वह नई-नई पिंजरे में बंद हुई थी
आँगन में खूब धूप आती थी
और दूर दिखाई देता था उसका पेड़।
चिड़िया के देखते ही देखते
हर ओर बड़ी-बडी़ इमारतें खडी हो गई
जिनके पीछे उसका सूरज खो गया
और खो गया वह पेड़ जिस पर
चिड़िया एक सपना बुन रही थी
चिड़िया की आँखों मे
रह-रह कर घूमता है
अपना अधूरा घोंसला।