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"विनती / मन्नन द्विवेदी गजपुरी" के अवतरणों में अंतर

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‘विनती सुन लो हे भगवान,
 
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::::हम सब बालक हैं नादान।।१।।
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:::हम सब बालक हैं नादान।।१।।
 
विद्या बुद्धि नहीं है पास,
 
विद्या बुद्धि नहीं है पास,
::::हमें बना लो अपना दास।।२।।
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:::हमें बना लो अपना दास।।२।।
 
पैदा तुमने किया सभी को ,
 
पैदा तुमने किया सभी को ,
::::रुपया पैसा दिया सभी को।।३।।
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:::रुपया पैसा दिया सभी को।।३।।
 
हाथ जोड़कर खड़े हुए हैं,
 
हाथ जोड़कर खड़े हुए हैं,
::::पैरो पर हम पड़े हुए हैं।।४।।
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:::पैरो पर हम पड़े हुए हैं।।४।।
 
बुरे काम से हमें बचाना,
 
बुरे काम से हमें बचाना,
::::खूब पढ़ाना खूब लिखाना।।५।।
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:::खूब पढ़ाना खूब लिखाना।।५।।
 
बड़ा बड़ा पद पावैगे हम ,
 
बड़ा बड़ा पद पावैगे हम ,
::::मिहनत कर दिखलावैगे हम।।६।।
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:::मिहनत कर दिखलावैगे हम।।६।।
 
कितना भी बढ़ जावैगे हम,
 
कितना भी बढ़ जावैगे हम,
::::तुमे नहीं बिसरावैगे हम।।७।।
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:::तुमे नहीं बिसरावैगे हम।।७।।
 
हमें सहारा देते रहना,
 
हमें सहारा देते रहना,
::::खबर हमारी लेते रहना ।।८।।
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:::खबर हमारी लेते रहना ।।८।।
 
लो फिर शीस नवाते हैं हम
 
लो फिर शीस नवाते हैं हम
::::विद्या पढ़ने जाते हैं हम।।९।।
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:::विद्या पढ़ने जाते हैं हम।।९।।
 
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23:58, 16 मई 2010 का अवतरण

‘विनती सुन लो हे भगवान,
हम सब बालक हैं नादान।।१।।
विद्या बुद्धि नहीं है पास,
हमें बना लो अपना दास।।२।।
पैदा तुमने किया सभी को ,
रुपया पैसा दिया सभी को।।३।।
हाथ जोड़कर खड़े हुए हैं,
पैरो पर हम पड़े हुए हैं।।४।।
बुरे काम से हमें बचाना,
खूब पढ़ाना खूब लिखाना।।५।।
बड़ा बड़ा पद पावैगे हम ,
मिहनत कर दिखलावैगे हम।।६।।
कितना भी बढ़ जावैगे हम,
तुमे नहीं बिसरावैगे हम।।७।।
हमें सहारा देते रहना,
खबर हमारी लेते रहना ।।८।।
लो फिर शीस नवाते हैं हम
विद्या पढ़ने जाते हैं हम।।९।।