भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बच्चे उगे / मुकेश जैन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: '''बच्चे उगे''' बच्चे उगे.<br /> बड़े हुए<br /> जैसे जंगली पौधे. '''रचनाकाल:'''…)
 
 
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
  
 
बच्चे उगे.<br />
 
बच्चे उगे.<br />
    बड़े हुए<br />
+
बड़े हुए<br />
 
जैसे जंगली पौधे.
 
जैसे जंगली पौधे.
  
 
'''रचनाकाल:''' १२/जनवरी/१९८८
 
'''रचनाकाल:''' १२/जनवरी/१९८८

03:52, 24 मई 2010 के समय का अवतरण

बच्चे उगे

बच्चे उगे.
बड़े हुए
जैसे जंगली पौधे.

रचनाकाल: १२/जनवरी/१९८८