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सन्नाटा / भवानीप्रसाद मिश्र
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17:58, 15 अगस्त 2006
मैं पागल हूँ, राजा, तुम मुझे भुला दो<br>
मैं बहुत दिनों से जाग रही हूँ राजा,<br>
बंसी बजवा कर मुझको जरा सुला दो।<br>
v
वह राजा था हाँ, कोई खेल नहीं था,<br>
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जय प्रकाश मानस