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हाइकु / कमलेश भट्ट 'कमल'
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13:46, 9 जून 2010
ढ़ूंढता रहा खुद को दिन रात ढूंढ
नहीं
न
पाया
।
छोटा करे दे रातों की लम्बाई भी गहरी नीन्द
छीन ही लिया नदी का नदीपन प्यासे बान्धो ने
डा० जगदीश व्योम
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