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"दो पदचिन्ह तेरे / विजय वाते" के अवतरणों में अंतर

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अगर अपने होने का धोखा रहेगा,
 
अगर अपने होने का धोखा रहेगा,
तभी तो इबादत का मौका रहेगा |
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तभी तो इबादत का मौका रहेगा
  
दो पद चिन्ह मेरे दो पद चिन्ह तेरे,
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दो पदचिन्ह मेरे दो पदचिन्ह तेरे,
जमा खर्च इतना सा होता रहेगा |
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जमा-खर्च इतना-सा होता रहेगा
  
 
मुझे होश खोकर भी ये होश होगा,  
 
मुझे होश खोकर भी ये होश होगा,  
कुल अपने दिल का झरोखा रहेगा |
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कुल अपने दिल का झरोखा रहेगा
  
बदलता बदलता बदलाता लगेगा,  
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बदलता बदलता बदलता लगेगा,  
बदलता मगर सिर्फ खोखा रहेगा |</poem>
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बदलता मगर सिर्फ खोखा रहेगा
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12:05, 11 जून 2010 के समय का अवतरण

अगर अपने होने का धोखा रहेगा,
तभी तो इबादत का मौका रहेगा ।

दो पदचिन्ह मेरे दो पदचिन्ह तेरे,
जमा-खर्च इतना-सा होता रहेगा ।

मुझे होश खोकर भी ये होश होगा,
कुल अपने दिल का झरोखा रहेगा ।

बदलता बदलता बदलता लगेगा,
बदलता मगर सिर्फ खोखा रहेगा ।