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एक पैग़ाम / परवीन शाकिर

59 bytes added, 02:15, 15 जून 2010
{{KKRachna
|रचनाकार=परवीन शाकिर
|संग्रह=इन्कार / परवीन शाकिर
}}
{{KKCatNazm}}
<poem>
वही मौसम है
 बारिश की हंसीहँसीपेड़ों में छन छन गूंजती गूँजती है 
हरी शाख़ें
 
सुनहरे फूल के ज़ेवर पहन कर
 
तसव्वुर में किसी के मुस्कराती हैं
 
हवा की ओढ़नी का रंग फिर हल्का गुलाबी है
 शनासा <ref>परिचित</ref> बाग़ को जाता हुआ ख़ुश्बू ख़ुशबू भरा रस्ता 
हमारी राह तकता है
 तुलूएतुलू-ए-माह <ref>सूर्योदय</ref> की साअत<ref>्समय या घड़ी</ref>
हमारी मुंतज़िर है
{{KKMeaning}}शनासा=परिचित, तुलूए-माह=सूर्योदय, साअत=समय या घड़ी</poem>
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