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आग का आईना
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रचनाकार | केदारनाथ अग्रवाल |
---|---|
प्रकाशक | परिमल प्रकाशन, 743, मोतीलाल नेहरू नगर, इलाहाबाद- 211 002 |
वर्ष | 1970 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | |
पृष्ठ | 96 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- कहाँ नहीं पड़ती है किस पर / केदारनाथ अग्रवाल
- सम्भोग की मुद्रा में / केदारनाथ अग्रवाल
- पीली धोती / केदारनाथ अग्रवाल
- उठा कर पटक दिया है तुमने / केदारनाथ अग्रवाल
- न हटा / केदारनाथ अग्रवाल
- खटखुट / केदारनाथ अग्रवाल
- मैंने अपराध किया है / केदारनाथ अग्रवाल
- मौन / केदारनाथ अग्रवाल
- छूँछे घड़े / केदारनाथ अग्रवाल
- अपने जन्मदिन पर / केदारनाथ अग्रवाल
- जाल और नकाब के बीच / केदारनाथ अग्रवाल
- चम्मचों से नहीं / केदारनाथ अग्रवाल
- मन की गठरी में बंधे नगर का नैतिक बल / केदारनाथ अग्रवाल
- भेड़िये-सा / केदारनाथ अग्रवाल
- मंदिरों में नहीं-- / केदारनाथ अग्रवाल
- आग जल रही है / केदारनाथ अग्रवाल
- कवि मुक्तिबोध की मृत्यु के बाद / केदारनाथ अग्रवाल
- प्रसव-पीड़ा से विकल है / केदारनाथ अग्रवाल
- समय का शव / केदारनाथ अग्रवाल
- लंगड़े की दुनिया भी लंगड़ी है / केदारनाथ अग्रवाल
- लघुत्तम है उसका अस्तित्व / केदारनाथ अग्रवाल
- पुल टूटा / केदारनाथ अग्रवाल
- उजाला / केदारनाथ अग्रवाल
- अनुत्तरित मौन / केदारनाथ अग्रवाल
- प्रलम्बित खड़े हैं / केदारनाथ अग्रवाल
- आवरण है / केदारनाथ अग्रवाल
- जो खुल गया है / केदारनाथ अग्रवाल
- मैंने देखा / केदारनाथ अग्रवाल
- पहाड़ पर खड़ी है / केदारनाथ अग्रवाल
- गंध में / केदारनाथ अग्रवाल
- बाहों में बंधी वह / केदारनाथ अग्रवाल
- विद्वान अंधेरा / केदारनाथ अग्रवाल
- मैं उसे खोजता हूँ / केदारनाथ अग्रवाल
- जी कर भी / केदारनाथ अग्रवाल
- न इश्क / केदारनाथ अग्रवाल
- सेब में घुसा चाकू / केदारनाथ अग्रवाल
- तरबूज / केदारनाथ अग्रवाल
- सुबह फक है / केदारनाथ अग्रवाल
- चरित्र सब चालते हैं / केदारनाथ अग्रवाल
- ज्यामितिक जीवन / केदारनाथ अग्रवाल
- मौत को पढ़ रही है ज़िन्दगी / केदारनाथ अग्रवाल
- कर्ज का पहाड़ / केदारनाथ अग्रवाल
- है / केदारनाथ अग्रवाल
- चिलम में उगा / केदारनाथ अग्रवाल
- सब से जुदा / केदारनाथ अग्रवाल
- नंगा न हुआ आदमी बुरा हुआ / केदारनाथ अग्रवाल
- मैं हूँ / केदारनाथ अग्रवाल
- आग लेने गया है / केदारनाथ अग्रवाल
- न धूप को है / केदारनाथ अग्रवाल
- न डूबे हैं / केदारनाथ अग्रवाल
- दल बदल के / केदारनाथ अग्रवाल
- सिर के अन्दर / केदारनाथ अग्रवाल
- नदी है / केदारनाथ अग्रवाल
- नदी में डूबे / केदारनाथ अग्रवाल
- न देखा था / केदारनाथ अग्रवाल
- मकान ने कहा मकान से / केदारनाथ अग्रवाल
- अब / केदारनाथ अग्रवाल
- खफ्त है मुझे / केदारनाथ अग्रवाल
- ख़बर है / केदारनाथ अग्रवाल
- सिर के ऊपर / केदारनाथ अग्रवाल
- कल की क़िताब / केदारनाथ अग्रवाल
- मच्छर / केदारनाथ अग्रवाल
- श्री श्रीखंडे के प्रति / केदारनाथ अग्रवाल
- अंगूठा खड़ा है / केदारनाथ अग्रवाल
- पस्त हो गई है / केदारनाथ अग्रवाल
- आदमियों के / केदारनाथ अग्रवाल
- कमासिन-मेरा गाँव / केदारनाथ अग्रवाल
- दाल-भात / केदारनाथ अग्रवाल
- सिपाही का डंडा / केदारनाथ अग्रवाल
- कर्ज...कर्ज...कर्ज / केदारनाथ अग्रवाल
- गंधों के / केदारनाथ अग्रवाल
- औरत / केदारनाथ अग्रवाल
- शब्द हो गए हैं नंगे / केदारनाथ अग्रवाल
- तू ने जो गरमाई दी है / केदारनाथ अग्रवाल
- कुत्ता, कुत्ता है / केदारनाथ अग्रवाल
- यहाँ-- / केदारनाथ अग्रवाल
- वही है एक / केदारनाथ अग्रवाल
- बढ़ गया है / केदारनाथ अग्रवाल
- हाथ के पेड़ / केदारनाथ अग्रवाल
- देखने को बहुत कुछ दीख रहा है / केदारनाथ अग्रवाल
- दूर कटा कवि / केदारनाथ अग्रवाल
- तुम नहीं छोड़ते भोग-सम्भोग / केदारनाथ अग्रवाल
- दर्द के सिर में / केदारनाथ अग्रवाल
- पैसा है / केदारनाथ अग्रवाल
- अब तो जल कर / केदारनाथ अग्रवाल
- सब के पास है / केदारनाथ अग्रवाल
- रिन / केदारनाथ अग्रवाल
- हरेक बन्द है अपनी गली में / केदारनाथ अग्रवाल
- लोग / केदारनाथ अग्रवाल
- स्वधर्म हो गया है वेतन का बचाना / केदारनाथ अग्रवाल
- हमने / केदारनाथ अग्रवाल
- दिल में दिल्ली / केदारनाथ अग्रवाल
- सत्य / केदारनाथ अग्रवाल
- हम / केदारनाथ अग्रवाल
- बूंद से बूंद / केदारनाथ अग्रवाल
- न्याय की लकीर / केदारनाथ अग्रवाल
- फुर / केदारनाथ अग्रवाल
- त्रास हो / केदारनाथ अग्रवाल
- मैं / केदारनाथ अग्रवाल
- न पथ है / केदारनाथ अग्रवाल
- घुन के घाव / केदारनाथ अग्रवाल
- हताहत हो गई / केदारनाथ अग्रवाल
- वह जो है / केदारनाथ अग्रवाल
- यह जो हुआ है / केदारनाथ अग्रवाल
- पत्थर / केदारनाथ अग्रवाल
- आग का आईना है / केदारनाथ अग्रवाल