"आँकड़ों का बाजीगर / मदन कश्यप" के अवतरणों में अंतर
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− | + | हम आँकड़ों के जंगल में भटक रहे थे | |
− | हम | + | उसका निगराँ था एक बाजीगर |
− | उसका | + | जो नोटों पर दस्तख़त करते-करते |
− | जो नोटों पर | + | अचानक हमारी किस्मत पर दस्तख़त करने लगा था |
− | अचानक हमारी किस्मत पर | + | |
कुछ लोग बताते थे कि जंगल | कुछ लोग बताते थे कि जंगल | ||
− | उसकी दाहिनी | + | उसकी दाहिनी आँख में था |
− | जिसकी निगरानी वह | + | जिसकी निगरानी वह बाईं आँख से करता था |
− | जंगल का पत्ता-पत्ता | + | जंगल का पत्ता-पत्ता आँकड़ों में तब्दील हो चुका था |
फूल न खूबसूरत थे न बदसूरत | फूल न खूबसूरत थे न बदसूरत | ||
बस उनकी गिनती थी | बस उनकी गिनती थी | ||
− | रूप रंग स्वाद सब | + | रूप रंग स्वाद सब आँकड़ों में बदल चुके थे |
− | हमारे निगरां के सपनों में भी शब्द नहीं थे केवल | + | हमारे निगरां के सपनों में भी शब्द नहीं थे केवल संख्याएँ थीं |
वह हर बीमारी हर लाचारी का इलाज | वह हर बीमारी हर लाचारी का इलाज | ||
− | + | आँकड़ों से करना चाहता था | |
− | मुफलिसों को अता करता था खुशहाली के | + | मुफलिसों को अता करता था खुशहाली के आँकड़ें |
मुखालिफिन को कैद कर लेता था आंकड़ों के पिंजडे में | मुखालिफिन को कैद कर लेता था आंकड़ों के पिंजडे में | ||
जिस दिन बढ़ी कीमत नहीं चुका सकने के कारण | जिस दिन बढ़ी कीमत नहीं चुका सकने के कारण | ||
− | + | डबडबाई आँखों से डबल रोटी के पैकेट को निहारती हुई | |
वापस लौट गई थी वह नन्हीं लड़की | वापस लौट गई थी वह नन्हीं लड़की | ||
− | उसी दिन मुद्रास्फीति घटने की जोरदार | + | उसी दिन मुद्रास्फीति घटने की जोरदार ख़बर छपी थी अख़बारों में |
− | उसके | + | उसके ज़हरीले जबड़ों से रिसते थे ख़ूनआलूद आँकड़ें |
− | हम जो अर्थशास्त्री न थे | + | हम जो अर्थशास्त्री न थे मज़बूर थे |
− | + | आँकड़ों की ख़ूनी बौछार में भीगने को! | |
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21:25, 22 जून 2010 के समय का अवतरण
हम आँकड़ों के जंगल में भटक रहे थे
उसका निगराँ था एक बाजीगर
जो नोटों पर दस्तख़त करते-करते
अचानक हमारी किस्मत पर दस्तख़त करने लगा था
कुछ लोग बताते थे कि जंगल
उसकी दाहिनी आँख में था
जिसकी निगरानी वह बाईं आँख से करता था
जंगल का पत्ता-पत्ता आँकड़ों में तब्दील हो चुका था
फूल न खूबसूरत थे न बदसूरत
बस उनकी गिनती थी
रूप रंग स्वाद सब आँकड़ों में बदल चुके थे
हमारे निगरां के सपनों में भी शब्द नहीं थे केवल संख्याएँ थीं
वह हर बीमारी हर लाचारी का इलाज
आँकड़ों से करना चाहता था
मुफलिसों को अता करता था खुशहाली के आँकड़ें
मुखालिफिन को कैद कर लेता था आंकड़ों के पिंजडे में
जिस दिन बढ़ी कीमत नहीं चुका सकने के कारण
डबडबाई आँखों से डबल रोटी के पैकेट को निहारती हुई
वापस लौट गई थी वह नन्हीं लड़की
उसी दिन मुद्रास्फीति घटने की जोरदार ख़बर छपी थी अख़बारों में
उसके ज़हरीले जबड़ों से रिसते थे ख़ूनआलूद आँकड़ें
हम जो अर्थशास्त्री न थे मज़बूर थे
आँकड़ों की ख़ूनी बौछार में भीगने को!