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हाइकु कविताएँ / जगदीश व्योम
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,
13:17, 25 जून 2010
दूब–धान आया
लोक जीवन।
मिलने भी दो
राम और ईसा को
भिन्न हैं कहाँ !
डा० जगदीश व्योम
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