भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"घन-कुरंग / नागार्जुन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=नागार्जुन   
 
|रचनाकार=नागार्जुन   
 
}}
 
}}
{{KKCatKavita‎}}
+
{{KKCatNavgeet}}
 
<poem>
 
<poem>
 
नभ में चौकडियाँ भरें भले
 
नभ में चौकडियाँ भरें भले

09:50, 27 जून 2010 के समय का अवतरण

नभ में चौकडियाँ भरें भले
शिशु घन-कुरंग
खिलवाड़ देर तक करें भले
शिशु घन-कुरंग
लो, आपस में गुथ गए खूब
शिशु घन-कुरंग
लो, घटा जल में गए डूब
शिशु घन-कुरंग
लो, बूंदें पडने लगीं, वाह
शिशु घन-कुरंग
लो, कब की सुधियाँ जगीं, आह
शिशु घन-कुरंग
पुरवा सिहकी, फिर दीख गए
शिशु घन-कुरंग
शशि से शरमाना सीख गए
शिशु घन-कुरंग



१९६४ में लिखित