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आओ रानी / नागार्जुन
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,
09:44, 2 मई 2007
बेबस-बेसुध, सूखे-
रुखडे
रुखडे़
,
हम ठहरे तिनकों के
टुकडे
टुकडे़
,
टहनी हो तुम भारी-भरकम डाल की
यह तो नयी नयी दिल्ली है, दिल
मेन
में
इसे उतार लो
एक बात कह दूं मलका, थोडी-सी लाज उधार लो
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Hemendrakumarrai