भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पुकारने पर / अरुणा राय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अरुणा राय }} {{KKCatKavita‎}} <poem> पुकारने पर प्रति-उत्तर ना …)
 
(कोई अंतर नहीं)

10:09, 16 जुलाई 2010 के समय का अवतरण

पुकारने पर
प्रति-उत्तर ना मिले
तो बाहर नहीं भटकूँगी अब
बल्कि लौटूँगी
भीतर ही

हृदयांधकार में बैठा
जहाँ
जल रह होगा तू

वहीं
तेरी मद्धिम आँच में बैठ
गहूँगी
तेरे मौन का हाथ।