भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"चांद मद्धम है / साहिर लुधियानवी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(कोई अंतर नहीं)

18:13, 15 अप्रैल 2008 का अवतरण

चांद मद्धम है आस्मां चुप है
नींद की गोद में जहां चुप है

दूर वादी में दूधिया बादल,झुक के परबत को प्यार करते हैं
दिल में नाकाम हसरतें लेकर,हम तेरा इंतज़ार करते हैं

इन बहारों के साए में आ जा,फिर मोहब्बत जवां रहे न रहे
ज़िन्दगी तेरे ना-मुरादों पर,कल तलक मेहरबां रहे न रहे

रोज़ की तरह आज भी तारे,सुबह की गर्द में न खो जाएं
आ तेरे गम़ में जागती आंखें,कम से कम एक रात सो जाएं

चांद मद्धम है आस्मां चुप है
नींद की गोद में जहां चुप है