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"भूल / अजित कुमार" के अवतरणों में अंतर

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11:46, 2 अगस्त 2010 के समय का अवतरण

घोंघा बस अड़ गया ।
चाहे कहें- ’लड़ गया’
चाहे- ’जकड़ गया ।’

बात सिर्फ़ इतनी थी कि
जीवन का सीधा-सा नियम :
’चलो, चलते ही रहो ।’-
भूल,
घोंघा जब पड़ गया :

होना यही था-
वह सड़ गया