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"मुंडेर पर पतझड़ / अशोक लव" के अवतरणों में अंतर
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बैठते चले जा रहे हैं | बैठते चले जा रहे हैं | ||
मन मुंडेर पर! | मन मुंडेर पर! | ||
− | भीग गया है अंतस का कोना कोना | + | भीग गया है अंतस का कोना-कोना |
क्यों आ जाता है | क्यों आ जाता है | ||
वसंत के तुंरत बाद | वसंत के तुंरत बाद | ||
पतझड़ ? | पतझड़ ? | ||
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खुशियों की | खुशियों की | ||
नन्ही चमकीली बूँदें ? | नन्ही चमकीली बूँदें ? | ||
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02:20, 4 अगस्त 2010 का अवतरण
एकाकीपन के मध्य
स्मृतियों के खुले आकाश पर
विचरण कर रहे हैं
उदासियों के पक्षी
कहाँ-कहाँ से उड़ते चले आ रहे हैं
बैठते चले जा रहे हैं
मन मुंडेर पर!
भीग गया है अंतस का कोना-कोना
क्यों आ जाता है
वसंत के तुंरत बाद
पतझड़ ?
क्यों नहीं भाती उदासियों को
खुशियों की
नन्ही चमकीली बूँदें ?