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"यादवेंद्र शर्मा 'चंद्र'" के अवतरणों में अंतर

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'''नाटक''' - ताश का घर, महाराजा शेखचिल्‍ली, मैं अश्‍वत्‍थामा, चुप हो जाए पीटर, चार अजूबे, आखिरी पडाव, जीमूतवाहन, महाबली बर्बरिक आदि
 
'''नाटक''' - ताश का घर, महाराजा शेखचिल्‍ली, मैं अश्‍वत्‍थामा, चुप हो जाए पीटर, चार अजूबे, आखिरी पडाव, जीमूतवाहन, महाबली बर्बरिक आदि
 
'''सम्‍मान''' - राजस्‍थान पत्रिका सृजन पुरस्‍कार की श्रेणी में वर्ष 1996 में 'गुळजी गाथा' पर पुरस्‍कृत,  साहित्‍य महोपाध्‍याय, साहित्‍यश्री,  डॉ राहुल सांकृत्‍यायन, साहित्‍य महोपाध्‍याय आदि
 
'''सम्‍मान''' - राजस्‍थान पत्रिका सृजन पुरस्‍कार की श्रेणी में वर्ष 1996 में 'गुळजी गाथा' पर पुरस्‍कृत,  साहित्‍य महोपाध्‍याय, साहित्‍यश्री,  डॉ राहुल सांकृत्‍यायन, साहित्‍य महोपाध्‍याय आदि
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'''विशेष''' - उनकी रचना 'हजार घोडों पर सवार' पर टीवी धारावाहिक बना, 'लाज राखो राणी सती' नामक पहली राजस्‍थानी फिल्‍म भी 'चंद्र' के लेखन का परिणाम थी, गुलाबडी, चकवे की बात और विडम्‍बना पर टेलीफिल्‍म बनी।  
 
'''विशेष''' - उनकी रचना 'हजार घोडों पर सवार' पर टीवी धारावाहिक बना, 'लाज राखो राणी सती' नामक पहली राजस्‍थानी फिल्‍म भी 'चंद्र' के लेखन का परिणाम थी, गुलाबडी, चकवे की बात और विडम्‍बना पर टेलीफिल्‍म बनी।  
 
|जीवनी=[[यादवेंद्र शर्मा 'चंद्र' / परिचय]]
 
|जीवनी=[[यादवेंद्र शर्मा 'चंद्र' / परिचय]]

06:39, 7 अगस्त 2010 का अवतरण

यादवेंद्र शर्मा 'चंद्र'
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जन्म: 1932-2009
जन्म स्थान
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कुछ प्रमुख कृतियाँ
तेरा मेरा उसका सच, आंखें सब देखती हैं (कविता संग्रह) के अलावा गद्य की अनेक पुस्तकें
विविध
उपन्‍यास - सन्‍यासी और सुंदरी, दीया जला दीया बुझा, हजार घोडों पर सवार, कुर्सी गायब हो गई, एक और मुख्‍यमंत्री, खम्‍मा अन्‍नदाता, पराजिता, खून का टीका, ढोकन कुंजकली, गुलाबडी, सपना, मोहभंग आदि

कहानी संग्रह - मेरी प्रेम कहानियां, श्रेष्‍ठ आंचलिक कहानियां, विशिष्‍ठ कहानियां, जमीन का टुकडा, जंजाल तथा अन्‍य कहानियां, महापुरुष आदि अनेक कथासंग्रह नाटक - ताश का घर, महाराजा शेखचिल्‍ली, मैं अश्‍वत्‍थामा, चुप हो जाए पीटर, चार अजूबे, आखिरी पडाव, जीमूतवाहन, महाबली बर्बरिक आदि सम्‍मान - राजस्‍थान पत्रिका सृजन पुरस्‍कार की श्रेणी में वर्ष 1996 में 'गुळजी गाथा' पर पुरस्‍कृत, साहित्‍य महोपाध्‍याय, साहित्‍यश्री, डॉ राहुल सांकृत्‍यायन, साहित्‍य महोपाध्‍याय आदि

विशेष - उनकी रचना 'हजार घोडों पर सवार' पर टीवी धारावाहिक बना, 'लाज राखो राणी सती' नामक पहली राजस्‍थानी फिल्‍म भी 'चंद्र' के लेखन का परिणाम थी, गुलाबडी, चकवे की बात और विडम्‍बना पर टेलीफिल्‍म बनी।

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