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वैसे ही आग का अर्थ है, | वैसे ही आग का अर्थ है, | ||
संघर्ष, | संघर्ष, | ||
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+ | संघर्ष अपने स्वयं के अहम् से | ||
+ | संघर्ष- जहाँ हम नहीं हैं वहीं बार-बार दिखाने से | ||
+ | कर सकोगे क्या संघर्ष ? | ||
+ | पा सकोगे मुक्ति, माया के मोहजाल से ? | ||
+ | पा सकोगे तो आलोक बिखेरेंगी ज्वालाएँ | ||
+ | नहीं कर सके तो | ||
+ | लपलपाती लपटें-ज्वालामुखियों की | ||
+ | रुद्ररूपां हुंकारती लहरें सातों सागरों की, | ||
+ | लील जाएँगी आदमी | ||
+ | और | ||
+ | आदमीयत के वजूद को | ||
+ | शेष रह जाएगा, बस वह | ||
+ | जो स्वयं नहीं जानता | ||
+ | कि | ||
+ | वह है, या नहीं है । | ||
+ | हम | ||
+ | हम प्रतिभा के वरद पुत्र | ||
+ | हम सिद्धहस्त आत्मगोपन में | ||
+ | हम दिन भर करते ब्लात्कार | ||
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11:17, 16 अगस्त 2010 का अवतरण
मेरे उस ओर आग है,
मेरे इस ओर आग है,
मेरे भीतर आग है,
मेरे बाहर आग है,
इस आग का अर्थ जानते हो ?
क्या तपन, क्या दहन,
क्या ज्योति, क्या जलन,
क्या जठराग्नि-कामाग्नि,
नहीं! नहीं!!!
ये अर्थ हैं कोष के, कोषकारों के
जीवन की पाठशाला के नहीं,
जैसे जीवन,
वैसे ही आग का अर्थ है,
संघर्ष,
संघर्ष- अंधकार की शक्तियों से
संघर्ष अपने स्वयं के अहम् से
संघर्ष- जहाँ हम नहीं हैं वहीं बार-बार दिखाने से
कर सकोगे क्या संघर्ष ?
पा सकोगे मुक्ति, माया के मोहजाल से ?
पा सकोगे तो आलोक बिखेरेंगी ज्वालाएँ
नहीं कर सके तो
लपलपाती लपटें-ज्वालामुखियों की
रुद्ररूपां हुंकारती लहरें सातों सागरों की,
लील जाएँगी आदमी
और
आदमीयत के वजूद को
शेष रह जाएगा, बस वह
जो स्वयं नहीं जानता
कि
वह है, या नहीं है ।
हम
हम प्रतिभा के वरद पुत्र
हम सिद्धहस्त आत्मगोपन में
हम दिन भर करते ब्लात्कार