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"सहमते स्वर-5 / शिवमंगल सिंह ‘सुमन’" के अवतरणों में अंतर

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13:19, 24 अगस्त 2010 के समय का अवतरण

मैं राजदरबार से
चला आया
अपनी ही नज़रों में
गिरने से बच गया।

नए माहौल में
भटकना भला लगता है
सुविधा का भरण क्षण तो
सड़ा-गला लगता है

उनकी क्या करता
हाँ-हज़ूरी
जो ख़ुद मोहताज हैं