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08:59, 2 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण
रहमतों की बारिश
रचनाकार | परवीन शाकिर |
---|---|
प्रकाशक | वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली |
वर्ष | 2000 |
भाषा | हिंदी |
विषय | |
विधा | शायरी |
पृष्ठ | 88 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
नज़्में
- मार-गज़ीदः / परवीन शाकिर
- लम्स-ए-ज़र / परवीन शाकिर
- वर्किंग वूमन / परवीन शाकिर
- बू-ए-यासमन बाक़ीस्त / परवीन शाकिर
- कन्या-दान / परवीन शाकिर
- नहीं, मिरा आँचल मैला है / परवीन शाकिर
- जिज़यः / परवीन शाकिर
- बारिशों की कुछ नज़्मेम / परवीन शाकिर
- गंगा से / परवीन शाकिर
- सुबह / परवीन शाकिर
- बेपनाही / परवीन शाकिर
- सलमा कृष्ण / परवीन शाकिर
- ताजमहल / परवीन शाकिर
- कालाम / परवीन शाकिर
- सिज्दा / परवीन शाकिर
- चीड़ के मग़रूर पेड़ / परवीन शाकिर
- तावान / परवीन शाकिर
- गूँज / परवीन शाकिर
- जीवन-साथी से / परवीन शाकिर
- नई आँख का पुराना ख़्वाब / परवीन शाकिर
- एक कोहिस्तानी अल्मिया / परवीन शाकिर
- इस्म / परवीन शाकिर
- छतनार / परवीन शाकिर
- ए वूमन्स प्राईड / परवीन शाकिर
- कत्बः / परवीन शाकिर
- हनीमून / परवीन शाकिर
- गीले बालों से छनता सूरज / परवीन शाकिर
- बुलावा / परवीन शाकिर
- शरारत / परवीन शाकिर
- तसल्ली / परवीन शाकिर
- ज़ूदपशेमान / परवीन शाकिर
- एक मुश्किल सवाल / परवीन शाकिर
- निकनेम / परवीन शाकिर
- कायनात के ख़ालिक / परवीन शाकिर
ग़ज़लें
- आतिश-ए-जाँ से क़फ़स आप ही जल जाना था / परवीन शाकिर
- कसा सबात है केः रवानी भी साथ है / परवीन शाकिर
- पा-ब-गिल सब हैं रिहाई की तदबीर करे कौन / परवीन शाकिर
- घर की याद है और दरपेश सफ़र भी है / परवीन शाकिर
- ग़ज़ाल-ए-शौक़ की वहशत अजब थी / परवीन शाकिर
- ज़मीन से रह गया दूर आसमान कितना / परवीन शाकिर
- उसी तरह से हर इक ज़ख़्म ख़ुशनुमा देखे / परवीन शाकिर
- मौजें बहम हुईं तो किनारा नहीं रहा / परवीन शाकिर
- उम्र का भरोसा क्या, पल का साथ हो जाए / परवीन शाकिर
- बाब-ए-हैरत से मुझे अज़्न-ए-सफ़र होने को है / परवीन शाकिर
- किसी की खोज में फिर खो गया कौन / परवीन शाकिर
- कहाँ से आती किरन ज़िन्दगी के ज़िंदाँ में / परवीन शाकिर
- आँखों में थकन, धनक बदन पर / परवीन शाकिर
- बज उठे हवा के दफ़ वज्द में कली आई / परवीन शाकिर
- ज़मीन पर पाँव थे, क़ियाम आसमान में था / परवीन शाकिर
- क़ैद में गुज़रेगी जो उम्र बड़े काम की थी / परवीन शाकिर
- सभी गुनाह धुल गए सज़ा ही और हो गई / परवीन शाकिर
- क़दमों में भी तकान थी, घर भी क़रीब था/ परवीन शाकिर
- पलकें न झपकनी थीं केः गुफ़्तार अजब थी / परवीन शाकिर
- कज़ा ने मेरे नाम की लौह भर दी / परवीन शाकिर
- शब वही लेकिन सितारा और है / परवीन शाकिर
- उसकी सना में हद्द-ए-बयाँ से निकल चुका / परवीन शाकिर
- छुड़ाना सहल हो गया है हात दरम्यान में / परवीन शाकिर
- बादबाँ खुलने से पहले का इशारा देखना / परवीन शाकिर
- जला दिया शज्र-ए-जाँ केः सब्ज़-बख़्त न था / परवीन शाकिर
- इक दिया बुझ ही गया होगा सर-ए-ताक़-ए-उम्मीद / परवीन शाकिर
- बुझ गई आँख तो पैराहन-ए-तर क्या लाए / परवीन शाकिर
- एक सूरज था केः तारों के घराने से उठा / परवीन शाकिर
- बिछड़ा है जो एक बार तो मिलते नहीं देखा / परवीन शाकिर
- टूटी है मेरी नींद मगर, तुम को इससे क्या / परवीन शाकिर
- तराश कर मेरे बाज़ू, उड़ान छोड़ गया / परवीन शाकिर
- शाख़-ए-बदन को ताज़ा फूल निशानी दे / परवीन शाकिर
- तेरी ख़ुशबू का पता करती है / परवीन शाकिर
- जाने कब तक रहे ये तरतीब / परवीन शाकिर
- चारागर हार गया हो जैसे / परवीन शाकिर
- डसने लगे हैं ख़्वाब, मगर किससे बोलिए / परवीन शाकिर
- खुली आँखों में सपना झाँकता है / परवीन शाकिर