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"ख़ुशबू / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर
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08:59, 2 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण
ख़ुशबू
रचनाकार | परवीन शाकिर |
---|---|
प्रकाशक | वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली |
वर्ष | |
भाषा | हिंदी |
विषय | |
विधा | शायरी |
पृष्ठ | |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
नज़्में
- प्यार / परवीन शाकिर
- एहतियात / परवीन शाकिर
- गए जन्म कि सदा / परवीन शाकिर
- पहले-पहल / परवीन शाकिर
- काँच की सुर्ख़ चूड़ी / परवीन शाकिर
- कंगन बेले का / परवीन शाकिर
- ध्यान / परवीन शाकिर
- एतराफ़ / परवीन शाकिर
- इतना मालूम है / परवीन शाकिर
- ख़लिश / परवीन शाकिर
- तशक्कुर / परवीन शाकिर
- बस इतना याद है / परवीन शाकिर
- सिर्फ़ एक लड़की / परवीन शाकिर
- आज की शब तो / परवीन शाकिर
- दोस्त चिड़ियों के लिए / परवीन शाकिर
- मशवरा / परवीन शाकिर
- मुक़द्दर / परवीन शाकिर
- सालगिरह / परवीन शाकिर
- आँचल और बादबान / परवीन शाकिर
- अयादत / परवीन शाकिर
- मज़बूरी / परवीन शाकिर
- मौसम / परवीन शाकिर
- नई रात / परवीन शाकिर
- जनम / परवीन शाकिर
- गोरी करत सिंगार / परवीन शाकिर
- पूरबी / परवीन शाकिर
- अजनबी / परवीन शाकिर
- उलझन / परवीन शाकिर
- उस वक़्त / परवीन शाकिर
- उसके मसीहा के लिए / परवीन शाकिर
- अंदेशहाए दूर-ओ-दराज़ / परवीन शाकिर
- मेरी दुआ तेरे रख़्शे-सबा-ख़राम के नाम / परवीन शाकिर
- चाँद रात / परवीन शाकिर
- वही नर्म लहजा / परवीन शाकिर
- रद्दे-अमल / परवीन शाकिर
- समंदर की बेटी / परवीन शाकिर
- एहसास / परवीन शाकिर
- बनफ़्शे का फूल / परवीन शाकिर
- रात की रानी की ख़ुशबू / परवीन शाकिर
- धूप का मौसम / परवीन शाकिर
- नाटक / परवीन शाकिर
ग़ज़लें
- अक्स-ए-ख़ुशबू हूँ, बिखरने से न रोके कोई / परवीन शाकिर
- खुली आँखों में सपना झाँकता है / परवीन शाकिर
- रक़्स में रात है बदन की तरह / परवीन शाकिर
- आज मलबूस में है कैसी थकन की ख़ुशबू / परवीन शाकिर
- क़रिया-ए-जाँ में कोई फूल खिलाने आए / परवीन शाकिर
- हथेलियों की दुआ फूल ले के आई हो / परवीन शाकिर
- वो रुत भी आई कि मैं फूल की सहेली हुई / परवीन शाकिर
- बाद मुद्दत उसे देखा लोगो / परवीन शाकिर
- अपनी रुसवाई तेरे नाम का चर्चा देखूँ / परवीन शाकिर
- चारागर हार गया हो जैसे / परवीन शाकिर
- फिर मेरे शह्र से गुज़रा है वो बादल की तरह / परवीन शाकिर
- वो अक्स-ए-मौज-ए-गुल था, चमन चमन में रहा / परवीन शाकिर
- ये ग़नीमत है कि उन आँखों ने पहचाना हमें / परवीन शाकिर
- लम्हात-ए-वस्ल कैसे हिजाबों में कट गए / परवीन शाकिर
- टूटी है मेरी नींद मगर तुमको इससे क्या / परवीन शाकिर
- ख़याल-ओ-ख़्वाब हुआ बर्गोबार का मौसम / परवीन शाकिर
- दुआ का टूटा हुआ हर्फ़ सर्द आह में है / परवीन शाकिर
- समन्दरों के उधर से कोई सदा आई / परवीन शाकिर
- वो तो ख़ुशबू है, हवाओं में बिखर जाएगा / परवीन शाकिर
- पानियों पानियों जब चाँद का हाला उतरा / परवीन शाकिर
- पूरा दुख और आधा चाँद / परवीन शाकिर
- धनक धनक मेरी पोरों के ख़्वाब कर देगा / परवीन शाकिर
- गए मौसम में जो खिलते थे गुलाबों की तरह / परवीन शाकिर
- कमाल-ए-ज़ब्त को ख़ुद भि तो आज़माऊँगी / परवीन शाकिर
- कैसी बेचेहरा रुतें आईं वतन में अबके / परवीन शाकिर
- हवा की धुन पर बन की डाली डाली गाए / परवीन शाकिर
- ख़ुशबू है वो तो छूके बदन को गुज़र न जाए / परवीन शाकिर
- रंग ख़ुशबू में अगर हल हो जाए / परवीन शाकिर
- सन्नाटा फ़ज़ा में बह रहा है / परवीन शाकिर
- दस्ते-शब पर दिखाई क्या देंगी / परवीन शाकिर
- हलक़ए-रंग से बाहर देखूँ / परवीन शाकिर
- कैसे कैसे थे जज़ीरे ख़्वाब में / परवीन शाकिर
- बारिश हुई तो फूलों के तन चाक हो गए / परवीन शाकिर
- चाँद मेरी तरह पिघलता रहा / परवीन शाकिर
- कहाँ आराम लम्हा भर रहा है / परवीन शाकिर
- जाने फिर अगली सदा किसकी थी / परवीन शाकिर
- मन थकने लगा है तन समेटे / परवीन शाकिर
- चाँद उस देस में निकला कि नहीं / परवीन शाकिर
- सब्ज़ मौसम की ख़बर लेके हवा आई हो / परवीन शाकिर
- चेहरा मेरा था निगाहें उसकी / परवीन शाकिर
- हमसे जो कुछ कहना है वह बाद में कह / परवीन शाकिर
- सुकूँ भी ख़्वाब हुआ नींद भी है कम कम फिर / परवीन शाकिर
- तमाम रात मेरे घर का एक दर खुला रहा / परवीन शाकिर
- शदीद दुख था अगरचे तेरी जुदाई का / परवीन शाकिर
- तेरा घर और मेरा जंगल भीगता है साथ साथ / परवीन शाकिर
- लम्हा लम्हा वक़्त की झील में डूब गया / परवीन शाकिर
- डसने लगे हैं ख़्वाब मगर किससे बोलिए / परवीन शाकिर
- समा के अब्र में बरसात की उमंग में हूँ / परवीन शाकिर
- हवा के जंग में हूँ बेअमाँ हूँ / परवीन शाकिर