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"सफ़र / मुकेश मानस" के अवतरणों में अंतर
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17:48, 7 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण
आगे बढ़ते हुए
अगर देखोगे पीछे
तो मुमकिन है
कि गिर पड़ोगे कहीं
पीछे छूट गये लोग
पीछे देखे हुए दृश्य
पीछे छूट गया समय
कभी लौटकर नहीं आते
और जो लौटकर नहीं आते
उनके बारे में फिर सोचना क्या?
अगले पड़ावों पर जाने क्या है?
अगम्य पर्वत श्रेणियाँ
एक तपता रेगिस्तान
एक दुर्गम जंगल
या कोई शहर कंक्रीट का
या शायद कुछ खिलते हुए फूल
शायद कोई गाता हुआ झरना
या बहती हुई कोई मस्त नदी
जो पीछे छूट गया
वो लौट कर नहीं आयेगा
उसके लिये अफ़सोस मत करो
धरती जितनी छूटती है पीछे
उतनी ही होती है
आगे भी
जितना रह जाता है पीछे
समय होता है उतना ही आगे भी
हम कहीं छूटते जाते हैं पीछे
समय कहीं नहीं छूटता
समय हमेशा साथ होता है
2006