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गीत-2 / मुकेश मानस
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13:43, 7 सितम्बर 2010
<poem>
सखे
!
मेरे गीतों में बस कर
इनको सुरमय कर देते
मन फिर से भर आया था तो
नेह जलधि भर आया था तो
आंसू
आँसू
अपनी
आंखों
आँखों
के सब मेरी
आंखों
आँखों
में भर देते, सखे………
साथी पंथी छूटे थे तो
अनिल जनविजय
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