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"गीत-2 / मुकेश मानस" के अवतरणों में अंतर

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सखे मेरे गीतों में बस कर  
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सखे ! मेरे गीतों में बस कर  
 
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मन फिर से भर आया था तो
 
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नेह जलधि भर आया था तो
 
नेह जलधि भर आया था तो
आंसू अपनी आंखों के सब  
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आँसू अपनी आँखों के सब  
मेरी आंखों में भर देते, सखे………
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मेरी आँखों में भर देते, सखे………
  
 
साथी पंथी छूटे थे तो
 
साथी पंथी छूटे थे तो

19:13, 7 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण


सखे ! मेरे गीतों में बस कर
इनको सुरमय कर देते

मन फिर से भर आया था तो
नेह जलधि भर आया था तो
आँसू अपनी आँखों के सब
मेरी आँखों में भर देते, सखे………

साथी पंथी छूटे थे तो
स्वर वीणा के टूटे थे तो
हृदय समर्पित कर देता मैं
एक इशारा कर देते, सखे………

टूटा जो उर दर्पण था तो
झूठा कोई समर्पण था तो
तो तुम हाथ थके अपने
मेरे कांधे पर धर देते, सखे………
1988