भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"काँटक बन मे / बुद्धिनाथ मिश्र" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बुद्धिनाथ मिश्र |संग्रह= }} Category: मैथिली भाषा [[Category…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
11:17, 15 अक्टूबर 2010 के समय का अवतरण
लहुआ लिधुर भेल फूलक सपना
काँटक बन मे ।
टोलक टोल बबूर फुलायल
छटपट करइछ आमक पखिना
काँटक बन मे ।
छूटि धनुष गेल व्याधक कर सँ
देखि पियाक पियासल हिरना
काँटक बन मे ।
हमरे सँ ई दिन, ई रितु अछि
कटिते फसिल भेलौं हम अदना
काँटक बन मे ।
हरदिक रंग नहाओल विधु कें
ताम्रपत्र लिखि गेल अछि मदना
काँटक बन मे ।
कजरौटा सन एहि नगरक लेल
सूर्यक जन्म एक दुर्घटना
काँटक बन मे ।