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"धरती / ओम पुरोहित ‘कागद’" के अवतरणों में अंतर

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(नया पृष्ठ: <poem>धरती ! तूं कदै’ई करती सिणगार बेसुमार : कूमटै खैजड़ी बोअटी ऊपर हो…)
 
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चरगी
 
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थारो हरियल संसार ?
 
थारो हरियल संसार ?
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20:16, 15 अक्टूबर 2010 का अवतरण

धरती !
तूं कदै’ई करती
सिणगार
बेसुमार :
कूमटै
खैजड़ी
बोअटी ऊपर होंवता
हरिया काच्चा पत्ता
जाणै कचनार !
थारी निजरां सामीं
होयो है अनाचार
बता !
कुण राखस री बकरी
चरगी
थारो हरियल संसार ?