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− | '''एक शहर''' | + | '''एक शहर''' <br /> |
− | यह शहर डूबे तो अच्छा है | + | |
− | इसके डूबने से नदिया धुल जाएगी | + | यह शहर डूबे तो अच्छा है <br /> |
− | प्रदूषण-मुक्त हो जायेगा जल | + | इसके डूबने से नदिया धुल जाएगी<br /> |
− | बह जाएँगी टूटी फूटी सड़कें | + | प्रदूषण-मुक्त हो जायेगा जल<br /> |
− | ढह जाएँगे कमज़ोर पुल | + | बह जाएँगी टूटी फूटी सड़कें <br /> |
− | बह जायेंगे सभी स्टेडियम | + | ढह जाएँगे कमज़ोर पुल <br /> |
− | बने हैं जो भ्रष्टाचार के ईडियम | + | बह जायेंगे सभी स्टेडियम<br /> |
− | धुल जायेगा सबके मन का मैला | + | बने हैं जो भ्रष्टाचार के ईडियम<br /> |
− | हो जायेगा उजला नेताओं का थैला | + | धुल जायेगा सबके मन का मैला <br /> |
− | धुल जाएगी शहर की गन्दगी | + | हो जायेगा उजला नेताओं का थैला <br /> |
− | मुस्कराएगी फिर नई जिंदगी | + | धुल जाएगी शहर की गन्दगी <br /> |
− | हो जाएँगी धराशायी पुरानी इमारतें | + | मुस्कराएगी फिर नई जिंदगी<br /> |
− | हो जाएँगी नष्ट भ्रष्टाचार की जड़ें | + | हो जाएँगी धराशायी पुरानी इमारतें<br /> |
− | बह जायेंगे सैलाब में चोर लुटेरे | + | हो जाएँगी नष्ट भ्रष्टाचार की जड़ें <br /> |
− | एक हो जाएगी फिर सारी बस्ती | + | बह जायेंगे सैलाब में चोर लुटेरे <br /> |
− | यहाँ के झोंपड़े और अमीरों की हस्ती | + | एक हो जाएगी फिर सारी बस्ती <br /> |
− | नहीं रहेगी जब किसी की हस्ती | + | यहाँ के झोंपड़े और अमीरों की हस्ती <br /> |
− | तब हर चीज़ मिलेगी सस्ती | + | नहीं रहेगी जब किसी की हस्ती <br /> |
− | नए पुल व सड़कें बनेंगे | + | तब हर चीज़ मिलेगी सस्ती <br /> |
− | सुन्दर हवादार घर बसेंगे | + | नए पुल व सड़कें बनेंगे <br /> |
− | हटेंगे सारे अवैध कब्ज़े | + | सुन्दर हवादार घर बसेंगे <br /> |
− | सब सड़कें फिर चौड़ी होंगी | + | हटेंगे सारे अवैध कब्ज़े <br /> |
− | नहीं लगेंगे जाम यहाँ वहाँ | + | सब सड़कें फिर चौड़ी होंगी <br /> |
− | सब बसें सरपट दौडेंगी | + | नहीं लगेंगे जाम यहाँ वहाँ<br /> |
− | परन्तु सवाल तो वही है | + | सब बसें सरपट दौडेंगी<br /> |
− | क्या बाढ़ आएगी | + | परन्तु सवाल तो वही है <br /> |
− | और डूबेगा ये शहर | + | क्या बाढ़ आएगी <br /> |
− | यारब अब तुम्हीं पर छोड़ता हूँ | + | और डूबेगा ये शहर<br /> |
− | तुम्हारी भेजी बाढ़ और आफत | + | यारब अब तुम्हीं पर छोड़ता हूँ <br /> |
− | शहर तो भ्रष्ट खेलों में डूब ही रहा है | + | तुम्हारी भेजी बाढ़ और आफत<br /> |
− | शायद इस बारिश में डूबने से बच जाये ! | + | शहर तो भ्रष्ट खेलों में डूब ही रहा है <br /> |
+ | शायद इस बारिश में डूबने से बच जाये ! <br /><br /> | ||
-अश्विनी कुमार रॉय | -अश्विनी कुमार रॉय |
01:15, 19 अक्टूबर 2010 का अवतरण
एक शहर
यह शहर डूबे तो अच्छा है
इसके डूबने से नदिया धुल जाएगी
प्रदूषण-मुक्त हो जायेगा जल
बह जाएँगी टूटी फूटी सड़कें
ढह जाएँगे कमज़ोर पुल
बह जायेंगे सभी स्टेडियम
बने हैं जो भ्रष्टाचार के ईडियम
धुल जायेगा सबके मन का मैला
हो जायेगा उजला नेताओं का थैला
धुल जाएगी शहर की गन्दगी
मुस्कराएगी फिर नई जिंदगी
हो जाएँगी धराशायी पुरानी इमारतें
हो जाएँगी नष्ट भ्रष्टाचार की जड़ें
बह जायेंगे सैलाब में चोर लुटेरे
एक हो जाएगी फिर सारी बस्ती
यहाँ के झोंपड़े और अमीरों की हस्ती
नहीं रहेगी जब किसी की हस्ती
तब हर चीज़ मिलेगी सस्ती
नए पुल व सड़कें बनेंगे
सुन्दर हवादार घर बसेंगे
हटेंगे सारे अवैध कब्ज़े
सब सड़कें फिर चौड़ी होंगी
नहीं लगेंगे जाम यहाँ वहाँ
सब बसें सरपट दौडेंगी
परन्तु सवाल तो वही है
क्या बाढ़ आएगी
और डूबेगा ये शहर
यारब अब तुम्हीं पर छोड़ता हूँ
तुम्हारी भेजी बाढ़ और आफत
शहर तो भ्रष्ट खेलों में डूब ही रहा है
शायद इस बारिश में डूबने से बच जाये !
-अश्विनी कुमार रॉय