Changes

जानकीवल्लभ शास्त्री / परिचय

138 bytes added, 17:17, 25 अक्टूबर 2010
इस ह्नेत्र में उन्होंने नए-नए प्रयोग किए जिससे हिंदी गीत का दायरा काफी व्यापक हुआ।वैसे, वे न तो नवगीत जैसे किसी आंदोलन से जुड़े, न ही प्रयोग के नाम पर ताल, तुक आदि से खिलवाड़ किया।छंदों पर उनकी पकड़ इतनी जबरदस्त है और तुक इतने सहज ढंग से उनकी कविता में आती हैं कि इस दृष्टि से पूरी सदी में केवल वे ही निराला की ऊंचाई को छू पाते हैं।
'रूप-अरूप, 'तीर तरंग, 'शिवा, 'मेघ-गीत, 'अवंतिका, 'कानन, 'अर्पण आदि इनके मुख्य काव्य संग्रह हैं। ये 'साहित्य वाचस्पति, 'विद्यासागर, 'काव्य-धुरीण तथा 'साहित्य मनीषी आदि अनेक उपाधियों से सम्मानित हुए।हुए तथा पद्मश्री जैसे राजकीय पुरस्कार को ठुकरा चुके हैं।
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,379
edits