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दुख में सुमरिन सब करे, सुख मे करे न कोय । <br> | दुख में सुमरिन सब करे, सुख मे करे न कोय । <br> | ||
− | जो सुख मे सुमरिन करे, दुख | + | जो सुख मे सुमरिन करे, दुख काहे को होय ॥ |
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कविता कोश में [[कबीर]] | कविता कोश में [[कबीर]] | ||
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13:22, 25 मई 2008 का अवतरण
एक काव्य मोती | |
दुख में सुमरिन सब करे, सुख मे करे न कोय । |