भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"गुनगुनी-सी रात है / इवान बूनिन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=इवान बूनिन |संग्रह=चमकदार आसमानी आभा / इवान ब…)
 
(कोई अंतर नहीं)

12:06, 2 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: इवान बूनिन  » संग्रह: चमकदार आसमानी आभा
»  गुनगुनी-सी रात है

गुनगुनी-सी रात है और पगडंडी यह पहाड़ी
जैतून के वन से होकर गुज़र रहा हूँ मैं
आकाश में दमके है श्वेत चन्द्रमा बिल्लौरी
दुनिया भर की ख़ुशियों से भरा है हृदय

प्रकाश है, अँधेरा है, दोनों छाए हैं मुझपर
यह वन लगे अनूठा जैसे कोई बग़ीचा सलेटी
दूर जगमगा रहे हैं वहाँ पहाड़ी के ऊपर
आधी रात को दो सितारे ज़िद्दी और हठी

घर पहुँच गया आख़िर मैं, चमके है झोंपड़ी
चंदा दमक रहा है पूरा, है चाँदनी की झड़ी
और रात भर गूँजेगी खनखनाती नदी-सी
हँसी झींगुरों की पत्थरों के बीच पड़ी

(04 सितंबर 1913)

मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय