भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"यदि मैं कहूं / शैलेन्द्र" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} रचनाकार: शैलेन्द्र Category:कविताएँ Category:शैलेन्द्र ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ यदि...) |
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) छो (यदि मैं कहूं/ शैलेन्द्र moved to यदि मैं कहूं / शैलेन्द्र) |
(कोई अंतर नहीं)
|
00:40, 31 मई 2007 का अवतरण
रचनाकार: शैलेन्द्र
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
यदि मैं कहूं कि तुम बिन मानिनि
व्यर्थ ज़िन्दगी होगी मेरी,
नहीं हंसेगा चांद हमेशा
बनी रहेगी घनी अंधेरी--
बोलो, तुम विश्वास करोगी ?
यदि मैं कहूं कि हे मायाविनि
तुमने तन में प्राण भरा है,
और तुम्हीं ने क्रूर मरण के
कुटिल करों से मुझे हरा है--
बोलो, तुम विश्वास करोगी ?
यदि मैं कहूं कि तुम बिन स्वामिनि,
टूटेगा मन का इकतारा,
बिखर जाएंगे स्वप्न
सूख जाएगी मधु-गीतों की धारा--
बोलो, तुम विश्वास करोगी ?
1946 में रचित